एक महिला घुटनों तक पानी में खड़ी है, जो अँधेरे को चीरती पूर्णिमा की रोशनी से जगमगा रही है। प्रकाश और छाया, धरती और आकाश, स्थिरता और गति के बीच एक सुंदर तनाव है। पानी में प्रतिबिंब द्वैत, दृश्य और अदृश्य का बोध कराता है। उसकी भाव-भंगिमा आध्यात्मिकता, समर्पण और आह्वान का आभास देती है।
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बीच का प्रकाश
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